सरकार की हां में हां मिलाए या विपक्ष की भूमिका निभाए


कोरोना संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार के साथ किस हद तक साथ रहना है और किस हद तक सरकार की कमियों को उजागर करके अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार करनी है, इसे लेकर कांग्रेस में जबरदस्त खींचतान है। बल्कि एक हद तक पार्टी ऊपर से नीचे तक इस मुद्दे पर बंटी हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुराने निष्ठावान नेता इस नाजुक मौके पर चाहते हैं कि पार्टी सरकार के साथ पूरी तरह सहयोग करे। जबकि राहुल गांधी और उनकी ओर निष्ठावान नेता चाहते हैं कि पार्टी आंख मूंद सरकार की पिछलग्गू न बने, बल्कि वह जनता के बीच कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकार की कमियों को भी उजागर करती रहे।

गौरतलब है कि कोरोना को लेकर राहुल गांधी 31 जनवरी से लगातार ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार को आगाह करते रहे, लेकिन सरकार ही नहीं खुद कांग्रेस में भी किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। तब जहां भाजपा नेता और सरकार के मंत्री तो राहुल का मखौल उड़ाते ही थे, कांग्रेस पार्टी में भी सोनिया गांधी के प्रति निष्ठावान माने जाने वाले कुछ नेता भी दबी जुबान से कहते थे कि राहुल गांधी को कोरोना फोबिया हो गया है।

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ट्वीट करके कहा था कि गांधी परिवार देश में अफरा-तफरी (पैनिक) पैदा कर रहा है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ऐसा कोई चिकित्सा आपातकाल नहीं है। अब राहुल गांधी समर्थक कांग्रेस के नेता राहुल की पूर्व चेतावनी को सार्वजनिक विमर्श में लाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने के पक्ष में हैं।

लेकिन कांग्रेस के पुराने दिग्गज इससे सहमत नहीं हैं। उन्हें लगता है कि इस समय सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलना जन भावनाओं के खिलाफ है और इसका खामियाजा पार्टी अतीत में सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हमले के दौरान भुगत चुकी है।